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Home»राजनीति»भाजपा की “राम-नीति” में उलझा विपक्ष, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस का किनारा
राजनीति

भाजपा की “राम-नीति” में उलझा विपक्ष, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस का किनारा

Pahad ki KhabarBy Pahad ki KhabarJanuary 14, 2024Updated:July 5, 2025No Comments
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बाद 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर उद्घाटन समारोह को देश के घर-घर में पहुंचने में लगी हुई है । इसी कार्यक्रम को लेकर भाजपा ने विपक्षी दलों से लेकर सभी खास हस्तियों को न्योता भेजा है। भाजपा के इस निमंत्रण पत्र को कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने ठुकरा दिया है। कांग्रेस के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था, क्योंकि लोकसभा चुनाव सिर पर है और राम मंदिर मुद्दे के इर्द-गिर्द 2024 का सियासी एजेंडा सेट किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण ठुकरा कर सियासी जोखिम उठा लिया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है सियासत भी तेज होती जा रही है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन समेत सभी कांग्रेस नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। अब तक इंडिया गठबंधन की 5 पार्टियां कांग्रेस, सपा, टीएमसी, सीपीआई (एम) और शिवसेना (उद्धव गुट) प्राण प्रतिष्ठा में जाने से मना कर चुकी हैं।

कुछ निमंत्रण पत्र ऐसे होते हैं न जाया जाता है और न ठुकराया जाता है। इन दिनों देश की सियासत नगरी में भी ऐसे ही हो रहा है। 8 दिन बाद 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। इसी कार्यक्रम को लेकर भाजपा ने सभी खास हस्तियों को न्योता भेजा है। वहीं भाजपा ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए विपक्षी दलों को भी निमंत्रण दिया है। भाजपा के इस निमंत्रण पत्र को कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने ठुकरा दिया है। भाजपा की इस “रामनीति” में विपक्ष जकड़ गया है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि तीन से चार महीने में होने वाले लोकसभा चुनाव हैं। कांग्रेस समेत विपक्ष की कई ऐसी पार्टियां हैं जिनके मुस्लिम वोट बैंक हैं। अगर यह विपक्षी दल के नेता अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल होते तो इसका असर लोकसभा चुनाव में भी दिखाई देगा। कांग्रेस के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था, क्योंकि लोकसभा चुनाव सिर पर है और राम मंदिर मुद्दे के इर्द-गिर्द 2024 का सियासी एजेंडा सेट किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण ठुकरा कर सियासी जोखिम उठा लिया। अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है सियासत भी तेज होती जा रही है। राम नगरी में भव्य तैयारियां की जा रही हैं। पूरे अयोध्या में गलियों, चौराहों से लेकर दीवारों तक को आकर्षक आकृतियों से सुशोभित किया जा रहा है। कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों को निमंत्रण भेजा जा रहा है। इसमें देश के विभिन्न राजनीति दलों के नेताओं को भी न्योता दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर उद्घाटन समारोह को देश के घर-घर में पहुंचने में लगी हुई है वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस आयोजन को भाजपा का बताकर बॉयकॉट करने का एलान कर दिया है। ‌सबसे बड़ा कारण यह है कि अगले तीन से चार महीने में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों को डर सता रहा है कहीं उनसे मुस्लिम वोटर दूर न हो जाए। ‌वहीं दूसरी ओर भाजपा के लिए अयोध्या राम मंदिर का निर्माण लोकसभा चुनाव में भी बड़ा मुद्दा बनने के लिए तैयार हो चुका है। कई दिनों से देश की सियासत भी अयोध्या के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। ‌लोकसभा चुनाव 2024 के पहले अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में देश की कई पार्टियों का कार्यक्रम में शामिल न होना भी सुर्खियों में है। कांग्रेस ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन समेत सभी कांग्रेस नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। ये भाजपा और संघ का प्रोग्राम है। अब तक इंडिया की 5 पार्टियां कांग्रेस, सपा, टीएमसी, सीपीआई (एम) और शिवसेना (उद्धव गुट) प्राण प्रतिष्ठा में जाने से मना कर चुकी हैं। कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘यह भाजपा का राजनीतिक प्रोजेक्ट है। धर्म एक व्यक्तिगत मामला है। लेकिन भाजपा और संघ ने अयोध्या में राजनीतिक परियोजना बनाई है। भाजपा-आरएसएस के नेता अधूरे मंदिर का उद्घाटन कर रहे हैं। वह चुनावी लाभ के लिए यह सब कर रहे हैं। कांग्रेस ने एलान किया कि उनका कोई भी नेता प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा। भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। पार्टी नेताओं ने कांग्रेस पर चौतरफा हमले करते हुए इसे एंटी हिंदू बताया। राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता ठुकराने वाले विपक्षी दलों पर भाजपा ने निशाना साधा है। भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें प्रमुख विपक्षी नेताओं की तस्वीर है और लिखा है- पहचानिए राम मंदिर के न्योते को ठुकराने वाले चेहरे। सनातन विरोधी गठबंधन। इस पोस्टर में कांग्रेस की सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी, ममता बनर्जी सीताराम येचुरी और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव की तस्वीर है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो कांग्रेस अयोध्या में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बॉयकॉट कर रही है, उसका लोकसभा चुनाव में जनता बायकाट करेगी। कांग्रेस का चाल, चरित्र और चेहरा कभी नहीं बदल सकता। यह वही कांग्रेस है जिसने शपथपत्र देकर श्रीराम को काल्पनिक बताया था। यह वही कांग्रेस है जिसने वादा किया था कि हम उसी जगह पर फिर बाबरी मस्जिद बनवाएंगे। यह वही कांग्रेस है जिसने रामलला का मंदिर न बने इसके लिए वकीलों की फौज खड़ी की थी। यह वही कांग्रेस है जो रामसेतु से लेकर श्रीराम से जुड़ी प्रत्येक बात का विरोध करती आई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस भगवान राम के विरोध पर आ गई है। भारत का इतिहास जब भी करवट लेता है तब कांग्रेस पार्टी उसका बहिष्कार करती है। कांग्रेस के इस फैसले पर पार्टी के कई नेताओं ने असहमति जताई है। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राम किसी पार्टी के नहीं है। हमारी लड़ाई राम या अयोध्या से नहीं, बीजेपी से है। कुछ लोग कांग्रेस को वामपंथी रास्ते पर ले जा रहे हैं। मैं चाहता हूं कि कांग्रेस नेतृत्व को अयोध्या न जाने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। वहीं गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने भी रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पार्टी के शामिल नहीं होने गलत ठहराया है।

कांग्रेस ने कहा- राम मंदिर उद्घाटन को भाजपा ने अपना इवेंट बनाया–

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस ने दूरी बना ली है। कांग्रेस की ओर से ऑफिशियल रूप से लेटर जारी करके इसकी सूचना दी गई है। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि अयोध्या में प्रस्तावित रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन समेत सभी कांग्रेस नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस ने कहा है कि ये कार्यक्रम भाजपा ने राजनीतिक लाभ के लिए आयोजित किया है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक लेटर शेयर किया है, जिसमें उसने राम मंदिर के उद्घाटन में न जाने के फैसले का कारण बताया है। इसमें कांग्रेस ने लिखा है कि धर्म निजी मामला है, लेकिन भाजपा-आरएसएस ने मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम को अपना इवेंट बना लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘भगवान राम की पूजा करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय होता है। बीजेपी और आरएसएस ने सालों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है।’ उन्होंने कहा कि मंदिर का उद्धाटन सिर्फ चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है। 2019 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करते हुए और लोगों की आस्था के सम्मान में मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी बीजेपी और संघ के इस आयोजन के निमंत्रण को अस्वीकार करते हैं। इससे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कार्यक्रम से दूरी बना ली है। टीएमसी की ओर से कोई नेता शिरकत नहीं करेगा। तृणमूल कांग्रेस के नेता अयोध्या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को राजनीतिक इवेंट कह रहे हैं। कांग्रेस के इस दांव के पीछे पार्टी की चुनावी बिसात की बात कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी की नजर पूरे देश के अल्पसंख्यक वोटों पर है। पार्टी चुनाव से पहले किसी ऐसे पहल से अपने को मुश्किल में नहीं डालेगी। इसे बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम बताकर देश की सबसे पुरानी पार्टी ने दांव भी चल दिया है। राम मंदिर का एजेंडा बीजेपी की घोषणापत्र का हिस्सा था। भगवा दल अब उसे पूरा करके निश्चित तौर पर इसका सियासी लाभ लेना चाहेगी। तो कांग्रेस ने भी इसी तर्क के साथ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पल्ला झाड़ लिया है।वहीं अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का क्रेडिट लेने के लिए बीजेपी किसी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। बीजेपी-संघ से जुड़े नेता घर-घर जाकर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए अक्षत चावल बांट रहे हैं। पीएम मोदी कह चुके हैं कि 22 जनवरी को दिवाली मनाई जाए यानि हर घर दिए जलाए जाएं। इसके अलावा बीजेपी ने प्लान बनाया है कि देश की सभी लोकसभा क्षेत्र से लोगों को 22 जनवरी के बाद अयोध्या में रामलला के दर्शन कराए जाएं, जिसके लिए बकायदा ट्रेन और बसें तक बुक कर ली गई हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा राम मंदिर को लेकर पार्टी नेताओं की तीन बड़ी बैठकें कर चुके हैं और राममय माहौल बनाने की रणनीति है। इस तरह से समझा जा सकता है कि बीजेपी ने राम मंदिर को लेकर किस तरह से माहौल अभी से ही बना दिया है। ऐसे में कांग्रेस का राम मंदिर उद्घाटन में शिरकत नहीं करने का फैसला सियासी तौर पर घातक हो सकता है।अयोध्या में रामलला की स्थापना के बाद से उसका करीब दो माह तक भाजपा महोत्सव मनाने जा रही है। हर लोकसभा सीट से 6000 लोग अयोध्या भेजे जाएंगे। ‘श्रद्धा एक्सप्रेस’ ट्रेन चलेगी, जिसका फिक्स किराया 1500 रुपए होगा।

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देश, विदेश से हजारों में मेहमान मौजूद रहेंगे–

राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है। हर राम भक्त को इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भव्य कार्यक्रम होने जा रहा है। धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत 15 जनवरी से होगी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान के रूप में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री के अलावा देश-विदेश के हजारों खास मेहमान भी मौजूद रहेंगे। मंदिर उद्घाटन के महोत्सव में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोगों को जोड़ने की योजना है। 500 साल के इंतजार के बाद राम लला अपने महल में विराजित होंगे, ऐसे में इस तारीख को सुनहरे अक्षरों में याद किया जाएगा। यही वजह है कि श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए देश-विदेश के 5 लाख मंदिरों में लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा। भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मॉरीशस, आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी देशों के मंदिरों और अन्य स्थल पर बड़े पैमाने पर रामलला का कार्यक्रमों का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। न्यूयॉर्क शहर में प्रसिद्ध टाइम्स स्क्वायर श्रीराम मंदिर का उद्घाटन दिखेगा। ऐसे में केंद्र से लेकर राज्य सरकार के अधिकारी कार्यक्रम की तैयारियों में व्यस्त हैं। अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा से एक हफ्ते पहले धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान होंगे, तब इस मौके पर आयोजित समारोह में अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन में सबसे आगे रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल होंगे। भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। उन्हें पहले ही आमंत्रण पत्र भेज दिया गया था। बुधवार को विश्व हिंदू परिषद के शीर्ष नेताओं ने उनसे मुलाकात कर एक बार फिर से उनसे कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी हर कोई बनना चाहता है। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट तक ने लोगों से 22 जनवरी को उद्घाटन समारोह के मौके पर अयोध्या नहीं आने की अपील की है, लेकिन फिर भी हर कोई अपने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा देखने के लिए इस पवित्र नगरी की तरफ खिंचा चला आ रहा है। ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनने के लिए 5 लाख से अधिक लोगों के अयोध्या पहुंचने की संभावाना है। रामोत्सव का जश्न सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में देखा जा रहा है। उत्तराखंड में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ निर्देश जारी किए हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 22 जनवरी 2024 को प्रदेश की सभी शराब दुकानें बंद रखने का निर्देश जारी किया है। जारी निर्देश में कहा गया है कि 22 जनवरी को प्रदेश की सभी मदिरा की दुकानें, बार एवं डिपार्टमेंटल स्टोर आदि मदिरा उपभोग से संबंधित समस्त अनुज्ञापन कार्य अवधि तक बंद रहेंगे। सीएम ने देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर, पिथौरागढ़ के रामेश्वर, पंचेश्वर मंदिर में राम भजन के साथ भव्य कार्यक्रम करने के निर्देश दिए। साथ ही चम्पावत के छतार स्थित राम मंदिर और टनकपुर के शारदाघाट में भी कार्यक्रम कराने के निर्देश दिए। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में राम मंदिर थीम पर आधारित झांकियां निकाली जाएंगी। इधर, अल्मोड़ा के कटारमल में मुख्य कार्यक्रम होगा। चमोली में प्रयागों और पंचबद्री के साथ नैनीताल के कैंचीधाम और नैनादेवी मंदिर में कार्यक्रम होंगे।

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