भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लिए डीपफेक ने चिंता बढ़ा रखी है। ठगों को डीपफेक के रूप में जालसाजी के लिए एक नया तरीका मिल गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए अब केंद्र सरकार इस नए साइबर क्राइम को लेकर सख्त नियम बनाने जा रही है। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि उन्होंने डीपफेक पर 2 बैठकें कीं। नए आईटी नियमों में गलत सूचना और डीपफेक को लेकर बड़े प्रावधान हैं। सभी के लिए इसका पालन करना अनिवार्य है, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। कुछ दिनों में नए आईटी नियम नोटिफाई किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि डीपफेक वीडियो रोकने की जिम्मेदारी प्लेटफॉर्म की है। अगर कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इसमें चूक करता है, तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी। कंपनियों को अपना प्लेटफार्म यूज करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। बॉलीवुड अभिनेत्री रश्मिका मंदाना सहित कई एक्टर्स को निशाना बनाने वाले कई ‘डीपफेक’ वीडियो के बाद सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के साथ सख्ती के साथ बातचीत की, क्योंकि लोगों में आक्रोश फैल रहा था और छेड़छाड़ के साथ कंटेंट बनाया जा रहा था। पिछले महीने, सरकार ने सभी प्लेटफार्मों को आईटी नियमों का पालन करने का निर्देश दिया था और कंपनियों को प्रतिबंधित कंटेंट के बारे में यूजर्स को स्पष्ट और सटीक शब्दों में जानकारी देने का निर्देश दिया था। इससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि ‘डीपफेक लोकतंत्र के लिए एक नया खतरा बनकर उभरा है।’ केंद्रीय मंत्री ने बताया था कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने डीपफेक के खतरे और इसकी गंभीरता को स्वीकार किया है। वैष्णव ने कहा था कि डीपफेक के क्रिएटर्स और उसको होस्ट करने वाले प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी तय होगी। डीपफेक शब्द पहली बार 2017 में यूज किया गया था। तब अमेरिका के सोशल न्यूज एग्रीगेटर Reddit पर डीपफेक आईडी से कई सेलिब्रिटीज के वीडियो पोस्ट किए गए थे। इसमें एक्ट्रेस एमा वॉटसन, गैल गैडोट, स्कारलेट जोहानसन के कई पोर्न वीडियो थे। किसी रियल वीडियो, फोटो या ऑडियो में दूसरे के चेहरे, आवाज और एक्सप्रेशन को फिट कर देने को डीपफेक नाम दिया गया है। ये इतनी सफाई से होता है कि कोई भी यकीन कर ले। इसमें फेक भी असली जैसा लगता है। इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाता है। इसमें वीडियो और ऑडियो को टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है। डीपफेक कंटेंट मिलते ही कोई भी एफआईआर करा सकता है। विक्टिम और उसकी तरफ से नियुक्त व्यक्ति को भी केस दर्ज कराने के अधिकार होंगे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूजर्स से यह शपथ लेगा कि वह डीपफेक कंटेंट नहीं डालेगा। प्लेटफॉर्म अपने यूजर्स को इस संबंध में अलर्ट मैसेज देंगे। सहमति के बाद ही यूजर अकाउंट एक्सेस कर सकेगा। डीपफेक कंटेंट को 24 घंटे में हटाना होगा। जिस यूजर ने कंटेंट अपलोड किया है, उसका अकाउंट बंद कर सूचना दूसरे प्लेटफार्म का देनी होगी, ताकि आरोपी वहां अकाउंट न बना सके। बता दें कि डीपफेक का मतलब किसी व्यक्ति के वास्तविक तस्वीर या वीडियो में एआई की मदद से हेरफेर कर किसी अन्य व्यक्ति का चेहरा लगा देना होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डीपफेक पर चिंता जता चुके हैं।
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Monday, July 7