भारत के साथ साथ उत्तराखंड राज्य में पहाड़ से लेकर मैदान तक चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जश्न के साथ ही गर्व और रोमांच का माहौल है। लोगों ने इस शुभ अवसर पर एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी। साथ ही हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता की जय के नारे लगाए। शाम छह बजकर चार मिनट पर बच्चों से लेकर नौजवान और बुजुर्ग हर कोई जश्न में डूबा नजर आया।
चन्द्रयान 3 के चांद की सतह को छूने की सफलता के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है। इस अभूतपूर्व सफलता में उत्तराखंड के अग्रवाल दंपति भी भागीदार रहे हैं। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से पौड़ी राज्य के गढ़वाल जिले के कोटद्वार क्षेत्र के दुगड्डा गाँव के रहने वाले दीपक अग्रवाल और उनकी पत्नी पायल अग्रवाल की, जो चंद्रयान-3 की टीम का हिस्सा रहे हैं। चंद्रयान-3 की इस अपार सफलता से दोनों पति-पत्नी खासे उत्साहित हैं। उन्होंने इसे गर्व का क्षण बताया है। आपको बता दें कि इससे पहले दीपक मंगल मिशन, चंद्रयान-1, जीएसएलवी उड़ान के लिए क्रायोजेनिक इंजन के विकास और जीएसएलवी एमके-3 मिशन में भी अपना अहम योगदान दे चुके हैं। आपको बता दें कि इसरो में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत दीपक अग्रवाल का जन्म दुगड्डा के मोती बाजार में 1979 में हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्षेत्र के ही सरस्वती शिशु मंदिर से प्राप्त करने वाले दीपक ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई जीआईसी दुगड्डा से की है। तदोपरांत उन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक और कानपुर से एमटेक की डिग्री हासिल की।