10 मई से चार धाम यात्रा शुरू होते ही बाबा केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के धाम के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। अचानक लाखों की संख्या में यात्रियों के आने से सिस्टम गड़बड़ा गया। गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गों पर पहले दिन से ही जाम लगना शुरू हो गया। उत्तराखंड सरकार के चार धाम यात्रा को लेकर किए गए इंतजामों पर सवाल भी उठने लगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री ने चार धाम यात्रा की व्यवस्था चौकस बनाने के लिए गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को लगातार समीक्षा बैठक कर महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए। सीएम धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पुलिस प्रशासन के टॉप अफसर राज्य के मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अभिनव कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मीनाक्षी सुंदरम, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे और सूचना निदेशक बंशीधर तिवारी ने व्यवस्थाओं को सुधारने और तीर्थयात्रियों को कोई परेशानी न हो बुधवार से लेकर शुक्रवार तक तीन दिन ताबड़तोड़ समीक्षा बैठकें कर कई बड़े फैसले लिए। हमारे देश की ‘अतिथि देवो भव अर्थात “अतिथि भगवान है” की प्राचीन परंपरा रही है । तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और मेहमानों को भगवान के रूप में माना जाता है। अतिथियों के स्वागत-सत्कार में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए सभी प्रयास किए जाते हैं। ऐसे ही उत्तराखंड में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के आदर-सत्कार में कोई कमी न रह जाए उत्तराखंड सरकारों की ओर से पहली प्रायोरिटी में शामिल रहा है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि उत्तराखंड राज्य की आर्थिकी पर्यटन और तीर्थस्थलों पर आधारित है। लेकिन कभी-कभी ज्यादा अतिथियों के पहुंचने पर व्यवस्थाएं भी चरमरा जाती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इन दिनों देवभूमि में देखा जा सकता है। इस साल चार धाम यात्रा को लेकर धामी सरकार खूब उत्साहित थी। श्रद्धालुओं की सकुशल यात्रा के लिए शासन-प्रशासन की ओर से इंतजाम भी किए गए। लेकिन भीड़ के दबाव आगे पुलिस-प्रशासन की व्यवस्थाएं कमजोर हो गई । आखिरकार जिसका डर था वही हुआ। चार धाम यात्रा शुरू होने से पहले धामी सरकार को उम्मीद थी कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार अधिक तीर्थयात्री आएंगे। लेकिन पहले दिन 10 मई से चार धाम यात्रा शुरू होते ही बाबा केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के धाम के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। अचानक लाखों की संख्या में यात्रियों के आने से सिस्टम गड़बड़ा गया। गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गों पर पहले दिन से ही जाम लगना शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो वायरल हुए, जिसमें संकरे रास्तों से श्रद्धालु जान जोखिम में डालते हुए जाते दिखाई दिए। चार धाम मार्ग पर परेशान श्रद्धालु और व्याप्त अव्यवस्थाओं की खबर उत्तराखंड से निकलकर दिल्ली भी पहुंची। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार के चार धाम यात्रा को लेकर किए गए इंतजामों पर सवाल भी उठने लगे। इन दिनों देशभर में लोकसभा चुनाव भी चल रहे हैं। चुनावी सीजन में विपक्षी पार्टी उत्तराखंड सरकार की अव्यवस्थाओं को मुद्दा न बनाए उससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री ने चार धाम यात्रा की व्यवस्था चौकस बनाने के लिए गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को 3 दिन लगातार समीक्षा बैठक कर महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश भी जारी किए। सीएम धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पुलिस प्रशासन के टॉप अफसर राज्य के मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अभिनव कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मीनाक्षी सुंदरम, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे और सूचना निदेशक बंशीधर तिवारी ने व्यवस्थाओं को सुधारने और तीर्थयात्रियों को कोई परेशानी न हो बुधवार से लेकर शुक्रवार तक तीन दिन ताबड़तोड़ समीक्षा बैठकें की। इसके अलावा सरकार ने यात्रा के ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए ऋषिकेश और हरिद्वार में लगाए गए काउंटर को भी तीन दिन तक बंद कर दिया है। यानी अब श्रद्धालु सिर्फ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ही कर सकेंगे। दरअसल, ऋषिकेश और हरिद्वार में भी लगातार भारी भीड़ देखने को मिल रही थी। इस वजह से लोग बिना रजिस्ट्रेशन कराए डायरेक्ट दर्शन के लिए धामों में पहुंच रहे थे। इससे धामों में भीड़ को नियंत्रण करने में दिक्कत हो रही थी। इसलिए प्रसासन ने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद किया है। केदारनाथ में गुरुवार को 28 हजार, बद्रीनाथ में 12,231, यमुनोत्री में 10,718 तो गंगोत्री में 12,236 लोगों ने दर्शन किए। अब तक चारों धामों में 3.98 लाख लोग दर्शन कर चुके हैं। 28 लाख से ज्यादा लोग रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।
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Monday, July 7