
देशभर में धूमधाम के साथ मनाया गया रंगों का पर्व
पूरे देश भर में धूमधाम के साथ होली खेली गई। गांव से लेकर छोटे बड़े सभी शहरों में देशवासी होली के रंग में सराबोर और रहे। दूसरे दिन शनिवार को भी कई राज्यों में होली मनाई गई । बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ उत्तराखंड में होली खेली गई । देवभूमि में पर्वतीय होली पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया। मथुरा, वाराणसी और प्रयागराज में दो दिनों तक होली की धूम दिखाई दी। उत्तराखंड में होली का पर्व अलग ही रूप में मनाया जाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ लोक कलाकारों और स्कूली बच्चों द्वारा झांकियां प्रस्तुत की। कहीं कुमाऊनी तो कहीं गढ़वाली होली की धूम रहती है। रंग बिरंगी गुलाल और फूलों की होली में राजनेता से लेकर अधिकारी खूब झूम के नजर आए। पिछले दो दिनों से कई संगठनों द्वारा होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। जिनमें लोक कलाकारों द्वारा शानदार प्रस्तुतियां दी गई। मुख्यमंत्री आवास पर भी जमकर होली खोली गई। इस दौरान सीएम धामी का भी अलग अंदाज देखने को मिला।
पूरे देश भर में शुक्रवार को धूमधाम के साथ होली का त्योहार मनाया गया। गांव से लेकर छोटे बड़े सभी शहरों में लोगों ने खूब जमकर होली खेली। हर कोई होली के रंग में सराबोर दिखाई दिया। होली का पर्व बसंत ऋतु के आगमन के साथ शुरू होता है और यह प्रेम, भाईचारे और सामाजिक एकता का संदेश देता है। शुक्रवार को मुंबई, दिल्ली, मथुरा, अयोध्या, देहरादून, लखनऊ, आगरा, पटना, जयपुर, भोपाल, इंदौर, अहमदाबाद, शिमला और बेंगलुरु से लेकर आदि शहरों में रंगों का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया गया। देश में दूसरे दिन शनिवार को भी कई राज्यों में होली मनाई गई । बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ उत्तराखंड में होली खेली गई । देवभूमि में पर्वतीय होली पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया। मथुरा, वाराणसी और प्रयागराज में दो दिनों तक होली की धूम दिखाई दी। ब्रज में होली का उत्सव 40 दिनों तक चलता है। बसंत पंचमी से इसकी शुरुआत होती है। भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जी की नगरी मे विश्व प्रसिद्ध हुरंगा खेला गया। होली के दूसरे दिन बलदेव मे हुरंगा खेला जाता है। महिलाएं पुरुषों के साथ होली खेलती हैं। पुरुषों के कपड़े फाड़ कर उसका कोड़ा बनाकर मारती है। पुरुष महिला के ऊपर टेसू से बने हुए रंग डालते हैं। इसे कोड़ा मार होली भी बोलते हैं, हजार की संख्या मे लोग यहां होली देखने के लिए पहुंचते हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ फिल्मी सितारों और खिलाड़ी भी होली के रंग में रंगे नजर आए। सुबह से ही लोगों ने एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाए। इसके साथ ही एक-दूसरे को बधाई और मिठाइयां देकर इस उत्सव का आनंद लिया। होली के मौके पर घरों में पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाया गया। अयोध्या में रामलला ने हाथों में धनुष की जगह पिचकारी धारण की। मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुजारियों ने बाबा महाकाल और नंदी को गुलाल लगाया। पश्चिम बंगाल में भी उमंग देखने को मिला। यहां पर लोगों ने डोलजात्रा धूमधाम से मनाया। इसके साथ लोगों ने यहां पर लोगों ने डोलजात्रा मनाई। वहीं ओडिशा के पुरी में सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने राधा-कृष्ण की तस्वीर के साथ होली का सैंड आर्ट बनाया। होली के दिन ही इस्लामी महीने रमजान के दूसरे शुक्रवार की नमाज भी पढ़ी गई। इसको देखते हुए देश के कई राज्यों में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम देखने को मिला। 61 साल बाद हिंदू और मुस्लिम धर्म के दो अहम त्योहार साथ थे, लेकिन देशवासियों ने सांप्रदायिक सद्भावना की मिशाल पेश करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से त्योहारों का आनंद लिया। उत्तर प्रदेश के संभल में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम रहे। संभल में 24 नवंबर को मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद दंगे भड़कने के बाद से तनाव है। इस कारण यहां पर प्रशासन ने अधिक सतर्कता बरती। कड़ी सुरक्षा के बीच उत्सव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। होली के अवसर पर संभल शहर में पारंपरिक ‘चौपाई का जुलूस’ भी निकाला गया। मस्जिद में दोपहर 2:30 बजे जुमे की नमाज अदा की गई। पुलिस और जिला प्रशासन ने तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की थी। रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की बटालियनों ने शहर में फ्लैग मार्च किया। तमिलनाडु के सलेम शहर में उत्तर भारतीय समुदाय के लोगों ने होली का त्योहार उत्साह और खुशी के साथ मनाया। यह रंगों का त्योहार खास तौर पर उन इलाकों में देखा गया, जहां उत्तर भारतीयों की संख्या ज्यादा है, जैसे नारायण नगर, देवेंथिरापुरम और वीरप्पन नगर। इस मौके पर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर होली की मस्ती में डूब गए। होली का त्योहार हर साल की तरह इस बार भी सलेम में धूमधाम से मनाया गया।
मुख्यमंत्री आवास पर सीएम धामी ने मंत्रियों और विधायकों के साथ खेली होली
उत्तराखंड में हर तरफ होली की धूम रही । राजधानी देहरादून में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किए । राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में होली गीतों की धूम रही और खूब फूलों की होली खेली गई। उत्तराखंड में होली का पर्व अलग ही रूप में मनाया जाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ लोक कलाकारों और स्कूली बच्चों द्वारा झांकियां प्रस्तुत की। कहीं कुमाऊनी तो कहीं गढ़वाली होली की धूम रहती है। रंग बिरंगी गुलाल और फूलों की होली में राजनेता से लेकर अधिकारी खूब झूम के नजर आए। पिछले दो दिनों से कई संगठनों द्वारा होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। जिनमें लोक कलाकारों द्वारा शानदार प्रस्तुतियां दी गई। मुख्यमंत्री आवास पर भी जमकर होली खोली गई। इस दौरान सीएम धामी का भी अलग अंदाज देखने को मिला। ढोल गले में लटका सीएम धामी ने प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के साथ खूब नाचे। कार्यक्रम में मंत्रीगणों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों एवं प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए गणमान्य लोगों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर उन्हें होली की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के विविध रंग दिखाई दिए। गढ़वाल, कुमाऊं, जौनसार, थारू सहित विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों ने अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार मनाई जाने वाली होली का प्रदर्शन किया। पारंपरिक होली गायन, नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और उसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि वे होली के इस पावन पर्व को सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाएं और समाज में प्रेम, भाईचारे एवं शांति का संदेश दें। कार्यक्रम में शामिल सभी अतिथियों ने मुख्यमंत्री के साथ मिलकर रंग-गुलाल खेला और एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दीं। सीएम धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के आवास पर भी पहुंचकर उन्हें होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। वहीं राजभवन में भी बुधवार को हर्षोल्लास के साथ होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने सभी सदस्यों को होली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सभी को होली की बधाई देते हुए मिठाइयां भी वितरित कीं।
उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय होली के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया–
उत्तराखंड में भी कई स्थानों पर दूसरे दिन भी होली की धूम रही। शनिवार को होली का माहौल दिखाई दिया।उत्तराखंड के कुछ इलाकों में 14 तो कुछ में 15 मार्च को होली का पर्व मनाया गया । हर ओर गुलाल उड़ा। ढोल-दमाऊ की थाप पर होल्यार झूमे । शुक्रवार को मौसम साफ रहने के बाद शनिवार को उत्तराखंड के लगभग सभी इलाकों में मौसम बदल गया। अधिकतर इलाकों में बादल छाए रहे। वहीं पहाड़ी इलाकों में तेज हवाओं संग बूंदाबांदी भी हुई। केदारनाथ, बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, औली सहित ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हुई है। जिससे तापमान में कुछ गिरावट दर्ज की गई है। वहीं उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय होली के अवसर पर 15 मार्च को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। यह अवकाश राज्य के सभी सरकारी/अशासकीय कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों/विद्यालयों में लागू होगा। यह निर्णय प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक पर्वतीय होली के महत्व को दर्शाता है। पर्वतीय होली उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक विशेष लोक उत्सव है जो रंगों और संगीत के साथ मनाया जाता है। पर्वतीय होली उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक विशेष लोक उत्सव है, जो रंगों और संगीत के साथ मनाया जाता है। यह होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि संस्कृति, संगीत, भक्ति और सामूहिक उल्लास का भी प्रतीक है। अन्य क्षेत्रों में होली जहां मुख्य रूप से रंग खेलने और होलिका दहन से जुड़ी होती है, वहीं उत्तराखंड की पर्वतीय होली गायन और संगीत पर आधारित होती है। इस दौरान शास्त्रीय रागों में होली गीत गाए जाते हैं, जो पूरे वातावरण को भक्तिमय और आनंदमय बना देते हैं। उत्तराखंड की पर्वतीय होली सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह होली उत्तर भारत में मनाई जाने वाली अन्य होलियों से अलग है क्योंकि इसमें शास्त्रीय संगीत, भक्ति और सामूहिक सहभागिता का विशेष योगदान होता है। यह पर्व समाज में प्रेम, सौहार्द और भाईचारे का संदेश देता है। उत्तराखंड सरकार द्वारा पर्वतीय होली के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाना, इस अनूठी परंपरा को सम्मान देने और आने वाली पीढ़ियों तक इसे संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।