उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने राज्य के विकास से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों के संबंध में भारत सरकार के…
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नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य, ने कहा कि उत्तराखंड के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर ट्रैफिक जाम अब एक गंभीर समस्या बन चुका है। नियमित जाम की समस्या एक गंभीर विषय है। इसे दूर करने का सरकार के पास कोई रोड मैप नजर नहीं आ रहा है।
श्री आर्य ने कहा कि नैनीताल कैंची धाम पर गाड़ियों की लंबी जाम रोज देखने को मिल रही है सुबह हो या रात हर दिन जाम की समस्या ने लोग व पर्यटक परेशान हो रहे हैं। वाहनों का दबाव बढ़ने से कैंची में जाम से लोग जूझ रहे हैं। रानीबाग- भीमताल, भीमताल-भवाली, भवाली-कैंची, ज्योलीकोट-भवाली, नैनीताल-भवाली और अल्मोड़ा-कैंची समेत भवाली और कैंची को रामगढ़ से जोड़ने वाली सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ने से कदम कदम पर जाम रहता है। कैंची धाम में बढ़ते श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण नैनीताल ही नहीं अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और बागेश्वर के रास्ते भी प्रभावित हो रहे हैं। यह जाम इन जिलों के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।
नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि कैंची धाम में लंबा जाम, क्वारब व अन्य क्षेत्रों में सड़के खराब होने से हल्द्वानी से कुमाऊँ के इन पर्यटन स्थलों के सफर का समय दोगुने से भी अधिक हो गया है। जिससे लंबी दूरी तय कर पहुंचने वाले पर्यटक कुमाऊँ की ओर रुख करने से भी कतराने लगे है। हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग में कैंची के पास जाम लगने से अल्मोड़ा, व बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिलों का व्यापार सहित आमजन और यात्रियों पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग होने के बाद भी सड़क पर समुचित तरीके से यातायात व्यवस्था संचालित कराने की व्यवस्था नही होने,
घंटों लग रहे जाम से आमयात्रियो और पहाड़ को आने वाले मालवाहको को जाम का सामना करना पड़ता है, जिससे समय से व्यापारियों को सामान नही मिल पाता है। जाम के कारण अल्मोड़ा बागेश्वर ,रानीखेत और हल्द्वानी जैसी बड़ी बाजारों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है।
श्री आर्य ने कहा कि जाम से सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं बच्चे और बीमार मरीज। सर्वविदित है पहाड़ों के सभी हॉस्पिटल अब हॉस्पिटल कम और रेफर सेंटर ज्यादा हैं। अल्मोड़ा बागेश्वर, रानीखेत पिथौरागढ़ से अधिकतम मरीज हल्द्वानी या मैदानी हॉस्पिटलों को रेफर किये जाते हैं और वहीं मरीज कैंची धाम के जाम में फंसकर जिंदगी मृत्यु के बीच जूझते रहते हैं।ये केवल आवागमन का ही संकट नहीं है बल्कि धुएँ-धूल के कारण इसका सीधा संबंध पर्यावरण प्रदूषण, जन-स्वास्थ्य से भी है। साथ ही इसका आर्थिक संबंध जाम में खड़े-खड़े, पैसों से खरीदे गये बिना बात के फुँकते तेल से जनता की जेब से भी है तथा फालतू की उलझन की वजह से पैदा होनेवाली झुंझलाहट से भी है जिसका सीधा दुष्प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि हालात खराब होने के बावजूद शासन प्रशासन अभी तक वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करने का कोई और तरीका ढूंढ पाने में असफल है। भाजपा राज में विकास-विहीन उत्तराखंड शासनिक-प्रशासनिक जाम में फँस गया है। सरकार को सिर्फ अस्थायी इंतजाम नहीं, बल्कि दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है ।अगर जल्द से जल्द सरकार ने इस विकराल होती समस्या को गंभीरता से नहीं लिया तो भविष्य में होने वाले भयंकर जाम से पहाड़ के निवासियों की हालत बद से बदत्तर न हो जाय।
देहरादून । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अध्यक्षता में आज उत्तराखंड भाषा संस्थान की साधारण सभा एवं प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक संपन्न हुई। इस दौरान सीएम धामी ने प्रदेशवासियों से अपील की की भेंट स्वरूप बुके के बदले बुक के प्रचलन को राज्य में बढ़ावा दिया जाए । सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड की बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों एवं साहित्य के डिजलिटीकरण की दिशा में कार्य किये जाएं। इसके लिए ई-लाइब्रेरी बनाई जाए। लोक कथाओं पर आधारित संकलन बढ़ाने के साथ ही इन पर ऑडियो विजुअल भी बनाये जाएं। स्कूलों में सप्ताह में एक बार स्थानीय बोली भाषा पर भाषण, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए।
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड भाषा एवं साहित्य का बड़े स्तर पर महोत्सव किया जाए, इसमें देशभर से साहित्यकारों को बुलाया जाए। उत्तराखण्ड की बोलियों का एक भाषाई मानचित्र बनाया जाए।
बैठक में निर्णय लिया गया कि उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान की राशि 05 लाख से बढ़ाकर 05 लाख 51 हजार की जायेगी। राज्य सरकार द्वारा दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान भी दिया जायेगा, जिसकी सम्मान राशि 05 लाख रूपये होगी। राजभाषा हिन्दी के प्रति युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए युवा कलमकार प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। इसमें दो आयु वर्ग में 18 से 24 और 25 से 35 के युवा रचनाकारों को शामिल किया जायेगा।
राज्य के दूरस्थ स्थानों तक सचल पुस्तकालयों की व्यवस्था कराने के साथ ही पाठकों के लिए विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें एवं साहित्य उपलब्ध कराने के लिए बड़े प्रकाशकों का सहयोग लेने पर सहमति बनी। भाषा संस्थान लोक भाषाओं के प्रति बच्चों की रूचि बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार कर स्थानीय बोलियों का बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करेगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि जौनसार बावर क्षेत्र में पौराणिक काल से प्रचलित पंडवाणी गायन ‘बाकणा’ को संरक्षित करने के लिए इसका अभिलेखीकरण किया जायेगा। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा प्रख्यात नाट्यकार ‘गोविन्द बल्लभ पंत’ का समग्र साहित्य संकलन, उत्तराखण्ड के साहित्यकारों का 50 से 100 वर्ष पूर्व भारत की विभन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित साहित्य का संकलन और उत्तराखण्ड की उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं के संरक्षण एव अध्ययन के लिए शोध परियोजनों का संचालन किया जायेगा। राज्य में प्रकृति के बीच साहित्य सृजन, साहित्यकारों के मध्य गोष्ठी, चर्चा-परिचर्चा के लिए 02 साहित्य ग्राम बनाये जायेंगे।
इस अवसर पर भाषा मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पिछले तीन सालों में उत्तराखण्ड में भाषा संस्थान द्वारा अनेक नई पहल की गई है। भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ ही स्थानीय बोलियों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। भाषा की दिशा में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक पुरस्कार दिये जा रहे हैं।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, सचिव श्री वी.षणमुगम, श्री श्रीधर बाबू अदांकी, निदेशक भाषा श्रीमती स्वाति भदौरिया, अपर सचिव श्री मनुज गोयल, कुलपति दून विश्वविद्यालय डॉ. सुरेखा डंगवाल, कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री एवं अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को लालकुआं, नैनीताल में आयोजित कार्यक्रम में नैनीताल जनपद की लगभग 126 करोड़ 69 लाख लागत की 27 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में शिक्षा, सड़क, चिकित्सा, सिंचाई, सीवरेज, नगर विकास, सौंदर्यीकरण और निराश्रित गौवंश संरक्षण से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान 25.93 करोड़ की लागत से 9 योजनाओं का लोकार्पण और 100.76 करोड़ की लागत से 18 योजनाओं का शिलान्यास किया गया।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र, गढ़ी कैंट देहरादून में फन्। द्वारा आयोजित डेरा कवि सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।
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