Close Menu
Pahad Ki KhabarPahad Ki Khabar
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • देश
  • शिक्षा
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • व्यापार
  • क्राइम
Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp
ब्रेकिंग न्यूज़ -
  • मुख्यमंत्री धामी का पूर्व सैनिकों से संवाद: जबरन धर्मांतरण, डेमोग्राफिक बदलाव व सैनिक कल्याण पर सरकार के सख्त रुख के लिए जनसहयोग जरूरी
  • धामी सरकार ने आनन-फानन में दो IAS का किया तबादला
  • भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष ने किया गलोगी जल विद्युत परियोजना का भ्रमण
  • मुख्यमंत्री ने टनकपुर से कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
  • सीएम धामी ने खटीमा में की धान रोपाई, किसानों के श्रम को किया नमन खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के परिश्रम, त्याग और समर्पण को नमन किया।
  • देहरादून में बिरला पिवट गैलरी का भव्य उद्घाटन, टाइल्स एवं बाथवेयर सेगमेंट में नए अध्याय की शुरुआत
  • नैनीताल में होटल किराए 50% घटे, पांच बेड का रूम अब ढाई हजार में
  • प्रथम युवा (अंडर-18) राष्ट्रीय कबड्डी-चैम्पियनशिप 2025 का हुआ भव्य समापन।
  • डॉक्टर्स डे समारोह में बुद्धिजीवी फाउंडेशन ने एटलांटिस क्लब, पंडितवाड़ी चकराता रोड, देहरादून में प्रतिष्ठित डॉक्टरों को उनके स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और समाज के प्रति निःस्वार्थ सेवा के लिए में किया सम्मानित
  • ” नगर निगम देहरादून में 10 वर्षों से होर्डिंग/यूनिपोल के ‘ संभावित Cartel के खेल” पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की सख्त कार्यवाही ।
Monday, July 7
Facebook X (Twitter) Instagram
Pahad Ki KhabarPahad Ki Khabar
Demo
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • देश
  • शिक्षा
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • व्यापार
  • क्राइम
Pahad Ki KhabarPahad Ki Khabar
Home»धर्म»पितरों के प्रति श्रद्धा का महान पर्व है श्राद्ध!
धर्म

पितरों के प्रति श्रद्धा का महान पर्व है श्राद्ध!

Pahad ki KhabarBy Pahad ki KhabarSeptember 17, 2024No Comments
Facebook Twitter WhatsApp Telegram
Share
Facebook Twitter Telegram WhatsApp

भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहते हैं, जिसमें हम अपने पूर्वजों की याद करते हैं। इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक रहेंगे। पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, ब्राह्मण भोज आदि किया जाता है। साथ ही, पितृ पक्ष की तिथियों पर पितरों की पूजा करके उनको तृप्त किया जाता है।जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका है, उन्हें हम पितृ मानते हैं। मृत्यु के बाद पितृ सूक्ष्म लोक में रहते है। पितरों का आशीर्वाद सूक्ष्मलोक से परिवारवालों को मिलता है।पितृपक्ष में पितृ धरती पर आकर अपने लोगों को आशीर्वाद देकर उनकी समस्याएं दूर करते हैं। पितृ नाराज हो जाएं तो घर की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। श्राद्ध पक्ष को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है।इस बार श्राद्ध दिवस निम्न प्रकार रहेंगे,
पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितंबर 2024 मंगलवार
प्रतिपदा श्राद्ध 18 सितंबर 2024 बुधवार
द्वितीया श्राद्ध 19 सितंबर 2024 गुरुवार
तृतीया श्राद्ध 20 सितंबर 2024 शुक्रवार
चौथा श्राद्ध 21 सितंबर 2024 शनिवार
पांचवां श्राद्ध 22 सितंबर 2024 रविवार
छठा श्राद्ध 23 सितंबर 2024 सोमवार
सातवां श्राद्ध 24 सितंबर 2024 मंगलवार
आठवां श्राद्ध 25 सितंबर 2024 बुधवार
नौवां श्राद्ध 26 सितंबर 2024 गुरुवार
दसवां श्राद्ध 27 सितंबर 2024 शुक्रवार
एकादशी श्राद्ध 28 सितंबर 2024 शनिवार
द्वादशी श्राद्ध 29 सितंबर 2024 रविवार
त्रयोदशी श्राद्ध 30 सितंबर 2024 सोमवार
चतुर्दशी श्राद्ध 1 अक्तूबर 2024 मंगलवार
सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्तूबर 2024 बुधवार
कुतुप मुहूर्त- 18 सितंबर यानी कल सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक
अपराह्न मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से 3 बजकर 55 मिनट तक।
जब महाभारत के युद्ध में कर्ण का निधन हो गया और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें रोजाना भोजन की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दिए गए। इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा। तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को तो दान किया, लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को दान नहीं दिया। तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानता है और उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वह अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके। तब से इसी 15 दिन की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।श्राद्ध अपने दिवंगत पूर्वजो को याद करने ,उनके प्रति श्रद्धा भाव अभिव्यक्त करने का पुनीत अवसर है। श्राद्ध वाले दिन सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लिपकर व गंगाजल से पवित्र कर लेना चाहिए। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों की याद में पितरों की रुचि का भोजन बनाये। इसके बाद ब्राहम्ण को घर पर बुलाकर या मंदिर में पितरों की पूजा और तर्पण का अनुष्ठान कराएं। आप ये काम खुद भी कर सकते हैं। पितरों के समक्ष अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें। उसके बाद पितरों के लिए बनाए गए भोजन के चार ग्रास निकालें जिसमें एक हिस्सा गाय, एक कुत्ते, एक कौए और एक अतिथि के लिए रखें। गाय, कुत्ते और कौए को भोजन डालने के बाद ब्राहम्ण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दें। ब्राहम्ण के रूप में आपका दामाद या ध्याना भी हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी कारणों से बड़ा श्राद्ध नहीं कर सकता तो उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ अपने सामर्थ्य अनुसार उपलब्ध अन्न, साग-पात-फल और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को आदर भाव से दे देनी चाहिए।
श्राद्ध पक्ष के दिनों में ।।ऊॅं नमो भगवते वासुदेवाय।।मन्त्र का वाचन करना चाहिए। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन श्राद्ध की शुरूआत और समापन में ।।देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्यन एव च। नमः स्वा्हायै स्व धायै नित्ययमेव भवन्युव त।।का वाचन करे।
पितर 2 प्रकार के होते हैं एक दिव्य पितर और दूसरे पूर्वज पितर। दिव्य पितर ब्रह्मा के पुत्र मनु से उत्पन्न हुए ऋषि हैं। पितरों में सबसे प्रमुख अर्यमा हैं जिनके बारे में गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि पितरों में प्रधान अर्यमा वे स्वयं हैं।दूसरे प्रकार के पितर पूर्वज होते हैं। पितृपक्ष में अपने इन्हीं पितरों को लोग याद करते हैं और इनके नाम से पिंडदान, श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाते हैं। कठोपनिषद्, गरुड़ पुराण, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार पितर अपने परिजनों के पास पितृपक्ष श्राद्ध के समय आते हैं और अन्न जल एवं आदर की अपेक्षा करते हैं। जिन परिवार के लोग पितृ पक्ष के दौरान पितरों के नाम से अन्न जल दान नहीं करते। श्राद्ध कर्म नहीं करते हैं। उनके पितर भूखे-प्यासे धरती से लौट जाते हैं। इससे परिवार के लोगों को पितृ दोष लगता है। इसे पितर शाप भी कहते हैं। इससे संतान प्राप्ति में बाधा आती है। परिवार में रोग और कष्ट बढ जाता है।
पितर पक्ष में जिन तिथियों में पूर्वज यानी पिता, दादा, परिवार के लोगों की मृत्यु हुई होती है उस तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध का नियम है कि दिन के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। कहा जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। श्राद्ध पक्ष में मांसाहार पूरी तरह वर्जित माना गया है। श्राद्ध पक्ष का माहात्म्य उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा है। तमिलनाडु में आदि अमावसाई, केरल में करिकडा वावुबली और महाराष्ट्र में इसे पितृ पंधरवडा नाम से जानते हैं। श्राद्ध स्त्री या पुरुष, कोई भी कर सकता है। श्रद्धा से कराया गया भोजन और पवित्रता से जल का तर्पण ही श्राद्ध का आधार है।
श्राद्ध का अनुष्ठान करते समय दिवंगत पूर्वज का नाम और उसके गोत्र का उच्चारण किया जाता है। हाथों में कुश की पैंती (उंगली में पहनने के लिए कुश का अंगूठी जैसा आकार बनाना) डालकर काले तिल से मिले हुए जल से पितरों को तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि एक तिल का दान बत्तीस सेर स्वर्ण तिलों के बराबर है। परिवार का उत्तराधिकारी या ज्येष्ठ पुत्र ही श्राद्ध करता है। जिसके घर में कोई पुरुष न हो, वहां स्त्रियां ही इस परम्परा को निभाती हैं। परिवार का अंतिम पुरुष सदस्य अपना श्राद्ध जीते जी करने के लिए स्वतंत्र माना गया है। संन्यासी वर्ग अपना श्राद्ध अपने जीवन में कर ही लेते हैं।

श्राद्ध पक्ष पूर्वजों के प्रति
नमन का है पुनीत अवसर
पर जीवित उनके रहते हुए
उन्हें भूले रहते हम अक्सर
जीते जी सेवा बडो की
खुश होकर करते जो जन
वे सदा सुख ही भोगते
तनाव मुक्त रहता उनका मन
दिवंगत होने के बाद भी
पितृ लोक से वे देते आशीष
पर जिसने उनको कष्ट दिया
उन्हें कभी नहीं मिलती बख्शीस
माता पिता को जिसने देव माना
श्राद्ध का भाव उसी ने जाना।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व आध्यात्मिक चिंतक है)
डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp
Pahad ki Khabar

Related Posts

देवी की अद्भुत अदालत जहां हर एक को मिलता है न्याय

June 28, 2025
Read More

श्री केदारनाथ धाम यात्रा में लगभग 200 करोड़ का हुआ कारोबार

June 1, 2025
Read More

श्री झण्डे जी पर नतमस्तक होकर लाखों श्रद्धालुओं ने झुकाए शीश

March 21, 2025
Read More
Leave A Reply Cancel Reply

Top Posts

देहरादून में बिरला पिवट गैलरी का भव्य उद्घाटन, टाइल्स एवं बाथवेयर सेगमेंट में नए अध्याय की शुरुआत

July 4, 2025336

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष ने किया गलोगी जल विद्युत परियोजना का भ्रमण

July 6, 20257

प्रथम युवा (अंडर-18) राष्ट्रीय कबड्डी-चैम्पियनशिप 2025 का हुआ भव्य समापन।

July 2, 20257

धामी सरकार ने आनन-फानन में दो IAS का किया तबादला

July 6, 20256
Don't Miss
उत्तराखण्ड

मुख्यमंत्री धामी का पूर्व सैनिकों से संवाद: जबरन धर्मांतरण, डेमोग्राफिक बदलाव व सैनिक कल्याण पर सरकार के सख्त रुख के लिए जनसहयोग जरूरी

July 7, 2025 उत्तराखण्ड

जबरन धर्मान्तरण व डेमोग्राफ़िक चेंज पर हमारी सरकार के प्रयासों के साथ जन सहयोग एवं…

Read More

धामी सरकार ने आनन-फानन में दो IAS का किया तबादला

July 6, 2025

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष ने किया गलोगी जल विद्युत परियोजना का भ्रमण

July 6, 2025

मुख्यमंत्री ने टनकपुर से कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

July 6, 2025
Stay In Touch
  • Facebook
  • Twitter
  • Pinterest
  • Instagram
  • YouTube
  • Vimeo

Pahad Ki Khabar is a leading Hindi online news analysis portal. Launched in 2023, and we focuses on delivering around the clock Different variety news analysis, Agriculture, Education, Business, Entertainment, Art-Literature-Culture and Media etc.

Address: 120 Lohiyapuram, Tyagi road,
Dehradun, Uttarakhand – 248001
Email Us: info@pahadkikhabar.com

Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp
Our Picks

मुख्यमंत्री धामी का पूर्व सैनिकों से संवाद: जबरन धर्मांतरण, डेमोग्राफिक बदलाव व सैनिक कल्याण पर सरकार के सख्त रुख के लिए जनसहयोग जरूरी

July 7, 2025

धामी सरकार ने आनन-फानन में दो IAS का किया तबादला

July 6, 2025

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष ने किया गलोगी जल विद्युत परियोजना का भ्रमण

July 6, 2025
Most Popular

देहरादून में बिरला पिवट गैलरी का भव्य उद्घाटन, टाइल्स एवं बाथवेयर सेगमेंट में नए अध्याय की शुरुआत

July 4, 2025336

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष ने किया गलोगी जल विद्युत परियोजना का भ्रमण

July 6, 20257

प्रथम युवा (अंडर-18) राष्ट्रीय कबड्डी-चैम्पियनशिप 2025 का हुआ भव्य समापन।

July 2, 20257
© 2025 Pahad Ki Khabar All Rights Reserved.
  • होम
  • About Us
  • Terms and Conditions
  • Privacy Policy
  • Contact Us

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.